Saturday, September 30, 2017

dard bhari shayari


दर्द भरी शायरी

मेरे चले जाने के बाद


मेरे चले जाने के बाद 
ये समुन्द्र भी तुझसे पूछेगा जरूर,
कहा गया वो मानुस
जो किनारे पे आके बस तुम्हारा ही नाम लिखा करता था

उदास हूँ मैं

उदास हूँ मगर "गुस्सा" तुम्हारे साथ नहीं,
तुम्हारे दिल में हूँ, मगर तुम्हारे साथ नहीं |
कहने को तो सब कुछ है मेरे पास,
बस तुम्हारे जैसा कोई खास नहीं



मुहब्बत-ए-मरीज 



किसी ने मुझसे पूछा इतना उम्दा लिखते हो,
शायर हो क्या ?
अब मैं किस अल्फ़ाज़ में कहु,
मुहब्बत-ए-मरीज हूँ |





                                (एक सोच)




Friday, September 29, 2017

Dard Bhari shayari


Dard bhari shayari


१ गहरी है रात लेकीन हम खोए नही।
दर्द बहुत है दिल मे पर हम रोए नही।
कोई नही हमारा जो पुछे हमसे।
जाग रहे हो किसी के के लिए ।
या किसी के लिए सोए नही



dard bhari shayari



२ हॅसने के लिए मुँह खोला,
गम ने हसने न दिया |
रोने के लिए आँखें टटोला,
ज़माने ने रोने न दिया |


Dard bhari shayari


३ इस ज़िन्दगी का फलसफा तो देखो यारो,
उलझन है तभी तो सुलझन है,
और बिखरन है  निखरन  है|



Dard bhari shayari


४ इतना न निखारो ये मेरे यारो,
की अपनों से दूर हो जाओ
और इतना न बिखरो की मंजिल से ढेर हो जाओ |



Dard bhari shayari


५ हमारी तो फितरत है मुस्कुराना,
अये, "ज़िन्दगी"
है दम तो इस फितरत के गुरुर को तोड़ के दिखा |




                               (एक सोच)

Thursday, September 28, 2017

do line shayari


do line shayari 

१ दिलकस यूँ ही नहीं मेरी आँखें
इसमें मेरे मेहबूब बसते है|



२ तू हर वक़्त कहती है जानती हूँ तुम्हे,

फिर मेरी तकलीफ तुम्हे महसूस कियु नहीं होती




३ एक दिन इश्क़ मेरा भी मुकम्मल होगा,
इसी उम्मीद में कभी राँझा भी ज़िंदा था


४  बिखरा पड़ा है  हर तरफ लहू मेरे  सपनो का
 संभल के चलना कही तुम पे इलज़ाम ना आये



५ फिर वही रात, वाहि दर्द |
लगता है अभी बहुत गलतियों की सजा काटनी बाकि है|




६ भूलना या भूलना अपने बस में कहा है,
और बस में है जिनके उन्हें प्यार कहा है |



७ चोट लगना जरुरी था,
ज़ख्म जैसा कोई उस्ताद नहीं |



८  ज़िन्दगी है सो, गुजर रही है,
वरना हमें गुजरे तो जमाना हो गया


९ ये हवाओ में ही इतनीं उदासी है,
या फिर तुम शहर में आये हो |

१० उम्मीद मत छोड़ना,
बुरा तेरा वक़्त है, तू नहीं |


                         (एक सोच )

Monday, September 25, 2017

dard bhari shayari

dard bhari shayari
 १ खामोशी 

ख़ामोशी बेवजह नहीं होती साहेब
कुछ हादसे ऐसे भी होते है
जो  जमीर तक को सुला देती है

dard bhari shayari

२ वीरान गालिया मेरा ठिकाना 

पहचान क्या बताऊ तुम्हे मेरे ठिकाने का,
जहा की गालिया वीरान लगे वही चले आना


dard bhari shayari

३ समझदारी 

हमारी दिली  ख्वाहिश है की हम मासूम बने रहे
कम्बख्त ये ज़िन्दगी हमें समझदार किये जा रही है



                                                           (एक सोच)

Sunday, September 24, 2017

dard bhari shayari

dard bhari shayari
१ ख्वाहिशो  काफिले को उड़ान न दिया तो क्या दिया |


ख्वाहिशो के काफिले को  उड़ान ना दिया तो क्या दिया
यूँ भटकते रहे रस्ते की तलाश में उमरभर
ऐसे जी भी लिया तो  क्या जिया

dard bhari shayari
२ आशना होना ही था किसी तरह गम से। ..


आशना होना ही था किसी तरह गम से
तुम न होते तो किसी और से बिछड़ा होता

dard bhari shayari

३ है दिल में जो दर्द उसे कैसे दिखाए ?


है दर्द जो दिल में उसे कैसे दिखाए ?
जो दिल पे नासूर बना हसता रहा ,
ऐसे  किसको दिखाए ?
दुनिया समझती है हमें खुसनसीब। .. 
क्योकि हम मुस्कुराते है 

अब इस खुशनसीबी की दास्ताँ किसको और कैसे सुनाये ?

dard bhari shayari

४ गम-ये-उल्फत में हूँ मगर रोना कुछ और है 



गम-ये-उल्फत में हूँ मगर रोन कुछ और है 
रोज चलता चार कदम, मगर तुझे पाना कुछ और है 
मैं थोड़ा थक गया हूँ इस दुनिया के झमेलों से। ... 
मगर थकना कुछ, और हार जाना कुछ और है

(एक सोच )


dard bhari shayari

dard bhari shayari
जीना क्या ?



 तुम्हारे  बिना अब जीना क्या

मंजिल कैसी और सफीना क्या

गुजरी जिंदगी बरसात में 
  
तीर के लिए दिल या सीना क्या
आदत थी पत्थर तराशने की

    मिलेगा अब कोई नगीना क्या

 तकदीर के भी खेल निराली
छीना भी तो छीना क्या

     तुम्हारे बिना अब इस दुनिया में

  रहना क्या और जीना क्या



dard bhari shayari
मेरे मेहबूब | 

 मेरे महबूब को कोई मुझसे खफा ना करे।
जब तक रहूँ जमी पे कोई उनसे जुदा ना करे।

अगर बिछड़ भी जाऊँ उनसे मैं किसी मोड़ पे

तो फिर कोई मेरी लंबी उम्र की दुआ ना कर



dard bhari shayari
ये ज़िन्दगी |
 

दूबारा लिखेंगे जिंदगी तुम्हे लेकर।।

  ये तेरे मेरे फासले अब रास नही आते।


dard bhari shayari
मोहब्बत | 

   इस नाजुक दिल में किसी के लिए इतनी मोहब्बतआज भी है

    की जब तक आँखें ना भीग जाये नींद नहीं आती |


dard bhari shayari
तेरे बिन | 

 कैसे दूर कर लू तुझसे खुद को
बेसब्र यादें दूर होने नहीं देती
साथ हो या न हों तू
महसूस साथ ही होता हैं

 उस पल का क्या करुँ
 तू बेखयाल होता ही नहीं कभी .
 यूँ तो आदत सी हो गई है अपने
आसपास तुझे देखने की तेरे बिन
अब जिन्दगी गंवारा भी तो नहीं ..

       


                  (एक सोच )
.

Thursday, September 21, 2017

dard bhari shayri

dard bhari shayari
दर्द शायरी 

     हो गई है जिन्दगी बेवफ़ा आजकल !!

कोई कितनी भी पिला लो मगर    

होता नहीं है मुझे नशा आजकल !!


dard bhari shayari
संगदिल भी रोते हैं

जब भी कहते हो आप हमसे की अब चलते है 
हमारी आँखों से आँशु नहीं सँभलते है |
अब ना कहना की संगदिल कभी नहीं रोते,
जितनी दरिया है सब पहाड़ो से निकलती है


dard bhari shayari
तड़पोगे तुम भी हर दिन

तड़पोगे तुम भी हर दिन,
ये सोच कर ||
था कोई जिद्दी चाहने वाला,
कहा चला गया अपनी जिद्द छोड़ कर 

dard bhari shayari
तुम मेरे खास हो


 हर एक रात की अंधकार के साथ  शुबह किरण  हो तुम | | 
मेरे इस आशावादी हृदय की आश हो तुम।

 इसलिए तो तुम मेरे खास हो | 
भटक रहा था मैं अकेले अकेले तुम बिन
 जब तुम आये मुझे मेरी आँशु भी प्यारी लगने लगी 
मेरी मुस्कान का एकमात्र कारण हो.....

इसलिए तो तुम मेरे खास हो | 





(एक सोच )


Wednesday, September 20, 2017

ghazal poetry

फूल चमन में खिल गए 

फूल चमन में खिल गए
दो अजनबी मिल गए
सच कहता भी कौन
लब यूँ सबके सील गए
नाकाम होकर लौट आये
कितने वो काबिल गए
बेकसूरों को दोषी बनाया
बच मेरे ही क़ातिल गए
सबके जुबाँ पर जिक्र था
उनकी जो महफ़िल गए


 (एक सोच) 

ghazal poetry


मैं कितना बेजार हूँ 



मैं कितना बेजार हूँ ,
आजकल बेकार हूँ |

खुश हूँ
कम से कम उनकी बेरुखी में सुमार हूँ

खो गया हूँ
खुद को कैसे ढूँढू  मैं
जाने कबसे फरार हूँ

तुम्हे मुबारक दिल से
आपका आभार हूँ

जकड़े रखा यूँ जुल्फों में मुझे
जैसे कोई गुनेहगार हूँ



                                     (एक सोच )

dard bhari shayari

dard bhari shayari
sad shayris 

dard bhari shayari
हम तुम 

जिससे दिल खुश हो ऐसी एक मुलाकात करें
 हम तुम मिल कर भिगो दे प्यार की रहो को
कुछ ऐसी बरसात करें
लहरे उठती हैं बवंडर से मिलने के लिए
कालिया खिलती हहै बन फूल खिलने के लिए
वो चाहे मिलना या न चाहे मुझसे
पर सच तो ये हैनदिया बहती है समुन्दर से मिलने के लिए


dard bhari shayari
इंतजार 

वक़्त ने कहा तू बदल जा किस्मत कभी नहीं

बदलती 
दिल ने कहा की तू संभल जा धड़कन कभी संभालती नहीं
और हर दिन की तरह आज भी खड़ा था उसके इंतजार में

तो दोस्तों ने कहा कियु करता है
इंतजार उसका इसकदर 
जब वो मिलता ही नहीं


dard bhari shayari
इल्जाम

मेरे दिल की हर एक धड़कन में तेरा नाम बाकि है
 लगा दे ए सनम मुझ पर जो कुछ इलज़ाम बाकि है
यु तो गुजरी है सादिया प्यार की

पर ए मेरे हमदम

जो तेरे साथ गुजारनी है वो पूरी शाम  बाकि हैं

(एक सोच )

Sunday, September 17, 2017

shayri on life

ज़िन्दगी की उलझन 


अब  तो उलझन है
मर मर के जी रहा हूँ या बन गया| गया कोई बिन आत्मा लाश  हूँ !
मुझ से न उलझ मेरे यार आज मैं उलझन में हूँ !
समझने लगा  हूँ या अभी  थोड़ी  नादानी बाकी है
बेखबर हूँ अपने आप से मगर लगता है अब सुलझन में हूँ |

कामना 


कामना  है…
अबकी  बार हो जाये ईमान की बरसात
अपने ही अपनों  के ज़मीर पर धूल की परत  है

ख़ामोशी 


वो जो  समझते रहे तामाशा होगा !
मेरी चुप्पी ने  बाजी ही पलट दी

इश्क़ 



इश्क़ वो जूनून है जो कभी खत्म नहीं होती सिर्फ बढ़ती है...
 या तो सुकून बनके  या पीर बनके

किस्सा-ए-ज़िन्दगी


ज़िन्दगी का किस्सा भी कितना विचित्र है!
निशा काल व्यतीत नहीं होता और
उम्र के साल घटते  चले जा रहे है !


                                      (एक सोच )

dard bhari shayri

dard bhari shayari
उलझन 

बेवजह छोटी सी बात पे तालमेल सारे बिगड़ गए 
बात ये थी कि सही "क्या" है और वो सही "कौन" पर उलझते गये!
उलझन हमे भी है
हम उलझे हुए हैं अपनी जिन्दगी की उलझनों मे आज कल
आप ये न समझना के अब वो लगाव नहीं रहा
हम लौट आयेगे
पुराने मौसम की तरह |
हमे सुलझने का मौका तो दो

dard bhari shayari
इंसानियत की सख्सियत




थक गया हूँ अब मैं जिन्दगी के झमेले मे
गुम हो गया हूँ दुनिया के मेले मे
मेरा वजूद क्या हैं ? मेरी हकीकत क्या है
पुछता हूँ अपने आप से यह सवाल अकेले में
कोई जवाब नही आता सब धुँधला दिखता हैं
क्या मै भी ऐसी 'इंसानियत` की शख्सियत हूँ
जो हो गुनहगार पर मासुम लिखता है?
काश किसी जगह मिल जाए इस दिल को सुकून
आँख बंद हो जाए सर्द हो जाए ये गर्म खुन
सांस थम जाऐ उभरते जज्बात खामोश हो जाएँ
कत्ल हो जाए दिल ओ दिमाग का जुनून
बहुत देख लिया बहुत सोच लिया गम का जाम सुबह शाम पी लिया
फरेब ऐ नजर से हयात बेइत्मेनान है काँपते होठो को मैंने कस के सी लिया


                                                                                           (एक सोच)

Saturday, September 16, 2017

Result Day

////////////////////////////////////////////////////रिजल्ट दिवस////////////////////////////////////////////////////////////////
पिताजी  आज अपने ऑफिस देर से में पहुंचे ऑफिस पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया!
सुरीली आवाज में एक मैम बोली "महाशय!
आपका बेटा जो क्लास फाइव में है मैं उसकी कक्षाध्यापिका बोल रहीं हूँ।
आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है।रिजल्ट कार्ड दिया जायेगा जाएगा। आप अपने बेटे को लेकर समयसे पहुंचें।
बेचारे पापा क्या करते। बात बेटे की रिजल्ट की थी तुरंत छुट्टी लेकर घर से बेटे को लेकर स्कूल पहुंच गए।
सामने साड़ी पहने साधारण लेकिन बेहद तेज मैम बैठी थी।
पिताजी  कुछ बोल पाते कि इससे पहले लगभग डांटते हुए बोलीं आप अभी रुकिए। आपकी अलग खबर ली जाएगी |
पिताजी  ने बेटे की तरफ देखा, और दोनों चुप बैठ गए। "मैम का पारा गरम लगता है" बेटे ने धीरे से कहा।तुम्हारा रिजल्ट कार्ड तो ठीक है"उसी तरह पिताजी  भी धीरे मरमराते सहुए बोले। "पता नहीं पिताजी , मैंने तो देखा नहीं।" बेटे ने अपना बचाव किया।"लगता है आज मेरी व् क्लास ली जाएगी।"
पिताजी  खुद को तैयार करते हुए बोले।वो दोनों बात कर ही रहे थे कि तभी मैम बोलीं - "हाँ!
अब आप दोनों भी आ जाइए देखिए!आपके बेटे की शिकायत तो बहुत है लेकिन पहले आप इसकी परीक्षा की कापियां और रिजल्ट कार्ड देखिए।
और आप ही बताइए इसको कैसे पढ़ाया जाये।
मैम ने सारांश में लगभग सारी बात कह दी मैम पहले अंग्रेजी  की कापी देखिए फेल है
आपका बेटा। पिताजी  ने एक नजर बेटे को देखा, जो डरा सा साथ बैठा था. फिर मुस्कुराते हुए बोले ।
इस उम्र में बच्चे अपनी ही भाषा नहीं समझ पाते विदेशी भाषा कहा से समझेंगे इतना मैम को चिढ़ने के लिए काफी था मैम- अच्छा!और ये देखिए! ये अपनी मात्र भाषा हिंदी में भी फेल है। क्यों? पिताजी  ने फिर बेटे की तरफ देखा.. मानो उसकी नजरें साॅरी बोल रहीं हों पापा - हिंदी एक कठिन भाषा है। ध्वनि आधारित है। इसको जैसा बोला जाता है, वैसा लिखा जाता है। अब आप के इंग्लिश स्कूल में कोई शुद्ध हींदी बोलने वाला नहीं होगा
पिताजी  की बात मैम बीच में काटते हुए बोलीं...
मैम - अच्छा... तो आप और बच्चों के बारे में क्या कहेंगे जो....इस बार पापा ने मैम की बात काट कर बोले..पापा - और बच्चे क्यों फेल हुए ये मैं नहीं बता सकता... मै तो....मैम चिढ़ते हुए बोली - "आप पूरी बात तो सुन लिया करो, मेरा मतलब था कि और बच्चे कैसे पास हो गये..." फेल नहीं"...अच्छा छोड़ो ये दूसरी कापी देखो आप। आज के बच्चेजब मोबाइल और लैपटॉप की रग रग से वाकिफ हैं तो आपका बच्चा कम्प्यूटर में कैसे फेल हो गया?....
पापा इस बार कापी को गौर से देखते हुए, गंभीरता से बोले - "ये कोई उम्र है कम्प्यूटर पढ़ने और मोबाइल चलाने की। अभी तो बच्चों को फील्ड में खेलना चाहिए।... मैम का पारा अब सातवें आसमान पर था...
वो कापियां समेटते हुए बोली-" सांइस की कापी दिखाने से तो कोई फायदा है नहीं। क्योंकि मैं भी जानती हूँ कि अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन में फेल होते थे।"... पिताजी  चुपचाप थे...मैम ने फिर शिकायत आगे बढ़ाई - "ये क्लास में डिस्पलिन में नहीं रहता बात करता है, शोर करता है, इधर-उधर घूमता है।
पिताजी  ने मैम को बीच में रोक कर, खोजती हुई निगाह से बोले...
पिताजी  - वो सब छोड़िए! आप कुछ भूल रहीं हैं। इसमें गणित की कापी कहां है। उसका रिजल्ट तो बताइए।
मैंम-(मुंह फेरते हुए) हां, उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।
पिताजी  - फिर भी, जब सारी कापियां दिखा दी तो वही क्यों बाकी रहे।
मैम ने इस बार बेटे की तरफ देखा और अनमने मन से गणित की कापी निकाल कर दे दी।.... गणित का नम्बर, और विषयों से अलग था.... 100%.....मैम अब भी मुंह फेरे बैठी थीं, लेकिन पिताजी  पूरे जोश में थे।
पिताजी  - हाँ तो मैंम, मेरे बेटे को इंग्लिश कौन पढ़ाता है?
:मैम- (धीरे से) मैं!
:पिताजी  - और हिंदी कौन पढ़ाता है?
:मैम- "मै"
:पिताजी  - और कम्प्यूटर कौन पढ़ाता है?
:मैम- वो भी "मैं"
:पिताजी  - अब ये भी बता दीजिए कि गणित कौन पढ़ाता है?
:मैम कुछ बोल पाती, पिताजी  उससे पहले ही जवाब देकर खड़े हो गए.
पिताजी  - "मैं"...
:मैम - (झेंपते हुए) हां पता है।
:पापा- तो अच्छा टीचर कौन है????? दुबारा मुझसे मेरे बेटे की शिकायत मत करना। बच्चा है। थोड़ी शरारत तो करेगा ही।
:मैम तिलमिला कर खड़ी होती हुयी जोर से बोलीं-"""मिलना तुम दोनों आज घर पर, दोनों बाप बेटे की अच्छे से खबर ली जाएगी   "

यह लेख किसी और ने लिखी है |  
   (एक सोच)

Thursday, September 14, 2017

                                                                 पटनार्थी


थोड़ा सा टाइम निकाल कर इसे एक बार पूरा पढ़िए, अगर दिल को छू न लिया तो फिर कहियेगा।

15-16 साल की छोटी सी उम्र में गाव की पगडंडियों से उठ कर, अपनी दसवीं की पढाई पूरी कर ,एक गठरी में दाल, चावल, आटा बांध कर जब एक लड़का खड़खड़ाती हुई बस में अपने हौसलो के उड़ान के साथ बैठता है तब उसके दिमाग में बत्तियां जलती है जो बत्तियां लाल होती है या नीली होती है और यही सोंचते-सोंचते वह कब पटना पहुंच जाता है उसको पता ही नहीं चलता।फिर दो साल तो यु ही गुजर जाती है | पटना की चकाचोंध दुनिया में जैसे की खो  गए हो किसी अनजान दुनिया में | फिर बारहवीं भी पूरी हो  जाती है दो साल कैसे बीत जाता है जैसे अभी अभी तो पटना पहली बार आया था |पता ही नहीं चलता तब जा कर आपने जिम्मेवारी का एहसास होता है | की हम पटना कियु आये थे
फिर यहाँ से शुरू होती है जिंदगी की जद्दोजहद,
नौकरी की तलाश।


जब लड़का अपने कमरे में कदम रखता है उस दिन उसकी एक ऐसी साधना शुरू होती है जो कभी अकेला नहीं करता, जब वह फॉर्म डालता है तो उसकी माँ किसी देवी माँ की मनौती मान देती है, उसकी बहन मन ही मन खुश होती है। उसके पिता दस लोगो से इसका जिक्र करते है और जब उसका परीक्षा जिस दिन रहता है उस दिन माँ व्रत करती है, इस कामना के साथ की उसका लड़का आने वाले अपने पूरे जीवन भर फाइव स्टार होटल में खायेगा ।
राजधानी के चकाचौंध में यहाँ लड़का कोचिंग करता है, अपने सीनियर, अपने दोस्त, अपने भाई आदि की सलाह भी लेता रहता है। अपनी तैयारी में धार देता हुआ आगे बढ़ता है।
कुकर की बजती सीटियों के बीच "विविध भारती "पर "लता मंगेशकर "की आवाज यहाँ का "राष्ट्र गान" है जो आप को लगभग हर कमरे में सुनाई देगा।
यहाँ का प्रतियोगी मैनेजमेंट भी बहुत अच्छा सीख लेता है। दस बाई दस के कमरे में, सब कुछ बिल्कुल अपनी जगह रखा मिल जाएगा। अलमारी किताबो से भरी, एक तरफ कुर्सी और मेज, एक तरफ लेटने के लिए चौकी, एक तरफ खाना बनाने के लिए एक मेज, दीवारों पर विश्व के मानचित्र और उसके बगल में लगे स्वामी विवेकानन्द और डॉ कलाम के पोस्टर और दरवाजे के पीछे लगी मुस्कुराती हुई मोनालिशा का बड़ा सा पोस्टर और कमरे की छज्जी पर रखे रजाई और कंबल। ये सब यहाँ के विद्यार्थी का मैनेजमेंट बताने के लिए पर्याप्त है ।
प्रतियोगी यहाँ अपने हर काम का टाइम टेबल बना के अपने स्टडी मेज के दीवाल के ऊपर चिपका के रखता है जिसमें यह तक जिक्र होता है कितने बजे अख़बार पढ़ना है और कितने बजे सब्जी लेने जाना है।
DBC यहाँ के छात्रों का मुख्य खाना है , DBC यानि दाल, भात, चोखा। कुल मिलाकर यहाँ के प्रतियोगी की जिंदगी कमोबेश एक सिपाही जैसी होती है।
इस तरह तैयारी करते करते 3-4 साल बीत जाते हैं कुछ साथी चयनित होकर अपने अनुजो का उत्साह बढ़ा के चले जाते है। यहाँ मछुआटोली, भिखना पहाड़ी, महेन्द्रू, राजेन्द्र नगर जैसे इलाकों में शाम के वक़्त छात्रों का चाय के दुकान पर संगम लगता है, जहाँ हर जगह से आये छात्र साथ बैठ कर चाय पीते-पीते देश की दशा, दिशा और परीक्षाओं पर भी सार्थक बहस करते हैं। यहाँ के प्रतियोगी को जितना अमेरिका के लोगो को उसके भौगोलिक स्थिति के बारे में नहीं पता होगा उससे ज्यादा इनको पता होता है।
 यहाँ का प्रतियोगी जब अपने मेहनत के फावड़े से अपनी बंजर हो चुकी किस्मत पर फावड़ा चलाता है तो सफलता की जो धार फूटती है उसी धार से वह अपने परिवार को, समाज को सींचता है और इसी सफलता के लिए न जाने कितनी आँखे पथरा जाती है और प्यासी रह जाती है , लेकिन उस प्यास की सिद्दत इतनी बड़ी होती है कि एक अच्छा इंसान जरूर बना देती है।
सौ बार पढ़ी गई किताब को बार-बार पढ़ा जाता है, जब याद हो चुकी चीजो को सौ बार दुहराया जाता है फिर भी परीक्षा हॉल में कंफ्यूजन हो जाया करता है, उस मनोस्थिति का नाम है यहाँ का विद्यार्थी। जब परीक्षा हॉल के अंतिम बचे कुछ मिनटों में बाथरूम एक सहारा होता है शायद वहा कोई एक दो सवाल बता दे उस मनोस्थिति का नाम है यहाँ का विद्यार्थी। जब खाना बन कर तैयार हो जाये तो उसी समय में दो और दोस्तों का टपक पड़ना और फिर उसी में शेयर कर के खाना इस मनोस्थिति का नाम है यहाँ का विद्यार्थी ।
प्रतियोगी का संघर्ष का दौर चलता रहता है, कुछ निराश होने लगे प्रतियोगियों को तब कोई कन्धा सहारा बन के आ जाता है, जब उसकी निराशा बढ़ने लगती है तो उस कंधे पर होता है रेशमी दुपट्टा। उसके बाद वो उस रेशमी दुपट्टे के आंचल में ऐसा खोता है कि तब उसे आप कहते सुन लेंगे कि वह इसके लिए IAS बन के दिखा देगा। इस तरह शुरू होता है इश्क़ का दौर, घूमना, टहलना, पढाई का एक से बढ़ कर एक ट्रिक अपनी गर्ल फ्रेंड को देना, इन सभी चिजों का ये एक दौर चलता है। मुँह पर दुपट्टा बांधा जाता है, हेलमेट भी पहना जाता है फिर भी शाम को कोई मिल जायेगा और बोलेगा, "अरे यार आज तुमको हम भौजी के साथ मछुआ टोली में देखे थे"। कुछ समय बाद यह भी दौर खत्म हो जाता है, लड़की के घर वाले उसके हाथ पीले कर देते है। फिर यह चुटकुला सुनने को मिल जाता है, जब मैं बीएड का फॉर्म लेने दुकान पर गया था तो वो अपने बच्चे को कलम दिला रही थी।
यहाँ तैयारी का फेस भी बदलता रहता है, शुरू में माँ-बाप के लिए IAS बनना चाहता है, उसके बाद गर्ल फ्रेंड के लिए IAS बनना चाहता है और अंत में दुनिया को दिखाने के लिए। वो कहता फिरता है कि मै दुनिया को दिखा दूंगा कैसे की जाती है तैयारी IAS की, पर जब वो असफल हो जाता है तो लोग उससे बात करना नहीं पसन्द करते, क्योंकि उनके नजर में वह असफल है, लेकिन यक़ीन मानिये असफल प्रतियोगी अपनी असफलता को बता सकता है, उसकी कमियों से सीखा जा सकता है, जिससे इतिहास रचा जा सकता है।
वैसे इस शहर में हमने भी पूरे वनवास काटे हैं, यहाँ के तैयारी करने वाले प्रतियोगियों का यही मज़ा है। आप बौद्धिकता से परिपूर्ण हो जाते है बेशक सफलता मिले न मिले।
(एक सोच)