Wednesday, September 20, 2017

ghazal poetry


मैं कितना बेजार हूँ 



मैं कितना बेजार हूँ ,
आजकल बेकार हूँ |

खुश हूँ
कम से कम उनकी बेरुखी में सुमार हूँ

खो गया हूँ
खुद को कैसे ढूँढू  मैं
जाने कबसे फरार हूँ

तुम्हे मुबारक दिल से
आपका आभार हूँ

जकड़े रखा यूँ जुल्फों में मुझे
जैसे कोई गुनेहगार हूँ



                                     (एक सोच )

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