Thursday, September 28, 2017

do line shayari


do line shayari 

१ दिलकस यूँ ही नहीं मेरी आँखें
इसमें मेरे मेहबूब बसते है|



२ तू हर वक़्त कहती है जानती हूँ तुम्हे,

फिर मेरी तकलीफ तुम्हे महसूस कियु नहीं होती




३ एक दिन इश्क़ मेरा भी मुकम्मल होगा,
इसी उम्मीद में कभी राँझा भी ज़िंदा था


४  बिखरा पड़ा है  हर तरफ लहू मेरे  सपनो का
 संभल के चलना कही तुम पे इलज़ाम ना आये



५ फिर वही रात, वाहि दर्द |
लगता है अभी बहुत गलतियों की सजा काटनी बाकि है|




६ भूलना या भूलना अपने बस में कहा है,
और बस में है जिनके उन्हें प्यार कहा है |



७ चोट लगना जरुरी था,
ज़ख्म जैसा कोई उस्ताद नहीं |



८  ज़िन्दगी है सो, गुजर रही है,
वरना हमें गुजरे तो जमाना हो गया


९ ये हवाओ में ही इतनीं उदासी है,
या फिर तुम शहर में आये हो |

१० उम्मीद मत छोड़ना,
बुरा तेरा वक़्त है, तू नहीं |


                         (एक सोच )

0 comments:

Post a Comment