dard bhari shayari
जीना क्या ?
तुम्हारे बिना अब जीना क्या
मंजिल कैसी और सफीना क्या
गुजरी जिंदगी बरसात में
तीर के लिए दिल या सीना क्या
आदत थी पत्थर तराशने की
मिलेगा अब कोई नगीना क्या
तकदीर के भी खेल निराली
छीना भी तो छीना क्या
छीना भी तो छीना क्या
तुम्हारे बिना अब इस दुनिया में
रहना क्या और जीना क्या
dard bhari shayari
मेरे मेहबूब |
मेरे महबूब को कोई मुझसे खफा ना करे।
जब तक रहूँ जमी पे कोई उनसे जुदा ना करे।
अगर बिछड़ भी जाऊँ उनसे मैं किसी मोड़ पे
तो फिर कोई मेरी लंबी उम्र की दुआ ना कर
जब तक रहूँ जमी पे कोई उनसे जुदा ना करे।
अगर बिछड़ भी जाऊँ उनसे मैं किसी मोड़ पे
तो फिर कोई मेरी लंबी उम्र की दुआ ना कर
ये तेरे मेरे फासले अब रास नही आते।
इस नाजुक दिल में किसी के लिए इतनी मोहब्बतआज भी है
की जब तक आँखें ना भीग जाये नींद नहीं आती |
dard bhari shayari
तेरे बिन |
कैसे दूर कर लू तुझसे खुद को
बेसब्र यादें दूर होने नहीं देतीसाथ हो या न हों तू
महसूस साथ ही होता हैं
उस पल का क्या करुँ
बेसब्र यादें दूर होने नहीं देतीसाथ हो या न हों तू
महसूस साथ ही होता हैं
उस पल का क्या करुँ
तू बेखयाल होता ही नहीं कभी .
यूँ तो आदत सी हो गई है अपने
आसपास तुझे देखने की तेरे बिन
अब जिन्दगी गंवारा भी तो नहीं ..
यूँ तो आदत सी हो गई है अपने
आसपास तुझे देखने की तेरे बिन
अब जिन्दगी गंवारा भी तो नहीं ..
(एक सोच )
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