Sunday, October 8, 2017

राजनीती की भाषा



मत , मतदान और मतदाता
राजनीती है तो वोटबैंक है ......
अरे भैया जब वोटबैंक है तो वोटबैंक की राजनीती तो होगी ही 
पर इतनी गन्दी 😳🤔

सबसे पहले तो ये की बचपन की कुछ कहावते 
"हमाम में सभी नंगे है "
" सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे है "
"मेंढकी को कभी जुकाम नहीं होता "

अब बात कहा से शुरू की जाये ये भी समस्या है क्योकि लोग अविलम्ब ही भक्त घोषित कर देंगे तो बात शुरू करते है
 साक्षी महराज से जिनके बारे में ये कहना की " हम तो बोलेंगे " गलत नहीं होगा . अभी अभी इन्होने " लव चार्जर " बाबा राम रहीम का समर्थन करके वोट बैंक की ताकत और अपनी मानसिकता प्रकट कर दी .
शरद यादव को सुनो मेरी समझ से इनके लिए यही कहूंगा "मतलब कुछ भी " 
जैसे बोल दिया - "वोट की इज्जत बेटी की इज्जत से बड़ी है"

एक सवाल मन में उठता है.
इन्हें नेता किसने बना दिया. क्यों बना दिया?
कैसे हम लोग इतने साल से ऐसे नेताओं को ढो रहे हैं?
ऐसे ‘अनुभवी नेता’ की ओर से ऐसा दकियानूसी बयान आना हताश करता है.
‘बेटी की इज्जत जाएगी तो गांव-मोहल्लों की इज्जत जाएगी,
वोट एक बार बिक गया तो देश की इज्जत और आने वाला सपना पूरा नहीं हो सकता.’
ये हमारे प्रिय नेता जी किसकी बेटी की बात कर गए समझ नहीं आया अपनी या वोटर की और वोटर फिर यही समझ रहा नेताजी की जय रैली हुयी समर्थन भी मिला .

हमारे धरती पकड़ नेता माननीय मुलायम सिंह जी "लड़का सेट हो जाये " 
सेट करने के चक्कर में बोल दिया ",लड़के है गलती हो जाती है तो क्या फांसी दे दोगे " अरे एक बार ये तो सोच लेते की गलती क्या है आपकी पार्टी की प्रचारक भी आपकी बेटी जैसी बहु ही है खैर हमें क्या हम तो समर्थक है नेता जी ने कहा है तो सही ही है "जय समाजवाद"


अब बात आती है कांग्रेस की भाई आपने जो देश के लिए किया हम आपके सभी अच्छे कार्यो का समर्थन करते है और धन्यवाद भी , परन्तु आप लोग ये मानते भी हो की राहुल बाबा को जमीनी जानकारी थोड़ी कम है फिर भी किस आधार पर समर्थन "युवराज " है बस इसलिए 
नहीं भाई हमसे ये नहीं होगा भारत अभी जमीनी (विकासशील) अवस्था में है तब तक ये राज परिवार से मुक्ति लेकर अपने वरिष्ठ , कर्मठ जिनकी कोई कमी नहीं है कांग्रेस में लाओ और केवल विरोध के लिए विरोध मत करो
बड़ी आसानी से आप आरोप लगा देते हो मायावती टिकट बेचती है अरे
खरीदने तो आपके क्षेत्र का निकम्मा ही गया उसने खरीदा नहीं आपका "वोट" बेचा है साहब "
हम खुद कहते है अरे ये तो पिछली बार फलां पार्टी में थे अब इसमें नहीं नहीं अब इनको इस पार्टी की सच्चाई पता लग गयी तभी छोड़ दिए , नहीं भाई अब उस पार्टी की हवा नहीं है 

राजनेताओ के मुद्दे - दलित उत्थान , गरीबी हटाओ , महिला शशक्तिकरण
केवल मुद्दे ही बन कर रह गए , हर बार यही कहा जाता है मतदान अवश्य करे ,आपका एक वोट देश के निर्माण में सहयोगी है !

परन्तु सोचने की बात ये है निर्माण हो किस का रहा नेताओ के महल का , उनके बच्चे के भविस्य का ,
आज का नेता जिसकी शुरुवात दलित उत्थान , महिला उत्थान ,

गरीब उत्थान से होती है परन्तु कैसे गरीब उत्थान करने वाला वो नेता खुद लिनेन , टाइटन और रेड चीफ में होता है अगर नहीं होगा तो कोई उसे नेता समझेगा ही नहीं 
तो अहम मुद्दा है जागरूकता का जिसके बिना बदलाव की शायद कल्पना भी नहीं कर सकते !!
अब परिवर्तन का एक मात्र विकल्प जागरूकता है क्योकि अब लाल बहादुर शास्त्री , राम मनोहर लोहिया ,श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे बलिदानी नेता नहीं होने वाले और होंगे भी तो ये सिस्टम उनको ऊपर नहीं जाने देगा

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