Sunday, October 8, 2017

आखिर कब तक ?

आखिर कब तक ?


14 बाबा फर्जी घोषित

इलाहाबाद के बाघंबरी मठ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की विशेष बैठक में 13 अखाड़ा के 26 संत शामिल थे।इस बैठक के दौरान 14 नाम सार्वजनिक किये गए |  इस बैठक में उनके सामूहिक बहिष्कार का भी फैसला किया गया।
1- आसाराम बापू उर्फ आशुमल शिरमलानी
2- सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां
3- सच्चिदानंद गिरि उर्फ सचिन दत्ता
4- गुरमीत सिंह राम रहीम सच्चा डेरा, सिरसा5-...
6-...
......
......
14-......


यह तो उन लोगो की लिस्ट है जिनका सक्षत्कार हुआ है पब्लिक के सामने
वरना बाबाओ की कमी कहा इस देश में
दीनानाथ बाबा, रामशंकर बाबा, रामनिवास बाबा,
फलां  बाबा चीलां बाबा,ब्लाह ब्लाह ब्लाह इनकी गिनती करें तो मुश्किल है या यूँ कहे की अनगिनत हैं
अब आते है मुद्दे की बात पर, लिस्ट जारी की गयी,
यह तो होना ही था | पर प्रश्न यह है कि यह लिस्ट अब क्यूँजारी किया गया ??बाबाओ के ऊपर आरोप ये कोई नयी बात नहीं,बाबाओ के ऊपर आरोप कई सालो से लगते आ रहे हैं |और आरोपों की गंभीरता भी संगीन रही है।
क्या इसमे यह प्रश्न नहीं छुपा है कि बाबा वर्ग पर अब जनता का मोह पहली बार इस स्तर पर पहुंचा है?
इस वर्ग पर लोगों का मोह बरकरार रहे इसलिए यह लिस्ट जारी हुई है।
ध्यान देने योग्य है कि पहले बाबा नहीं, संत होते थे। समाज की सेवा के लिए उनका योगदान अतुलनीय हुआ करता था। संत साई बाबा जिन्होंने अपना सारा जीवन भिक्षा लेकर गुजार दिया,
उनके भक्त अरबों का सोना उन पर चढ़ाते हैं।
यह एक विरोधाभास है।
जहाँ 1789 में फ्रांसीसी क्रांति ने पॉप को सीमित अधिकारों के दायरे में ला दिया था, बाबा और मौलवी आज भी अनुच्छेद 25-28 का फायदा असीमित साधनों को जमा करने में लगाते हैं।
क्या यह समय का दस्तूर नहीं कि धर्म के नाम पर कारोबार बंद हो।
धर्म जब अपने पवित्र रूप में होता है तो जीवन जीने, सीखने और मानवता की शिक्षा देता है और जब विकृत रूप में होता है तो आतंकवादी, अंधविश्वास, विक्षिप्त बाबा और मौलवी पैदा करता है।
धर्म कबीर, दयानंद सरस्वती, विवेकानंद और अब्दुल कलाम बनाता है, तो ओसामा बिन लादेन भी।
धर्म की सही समायाकूल सही व्याख्या, प्रश्न करने की संस्कृति और जागरूकता आज की जरूरत है।
लोगो को अम्ल करने की जरुरत है खुद से यह सवाल पूछने की जरुरत है|
आखिर कब तक बाबाओ का ये गोरखधंधा चलेगा?

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