Sunday, October 15, 2017

Dard bhari shayari


दर्द शायरी 


मेरी अल्फाज़ो की जरुरत हि क्या है ?
कभी इन आँखों में झांको तो सही |


ए खुदा तू ऐसा तराजू बता,
कि मेरी मुहब्बत तौल सकूँ
किसी ने मुहब्बत में सबूत माँगा है



मुझसे खफा है,
या तू भी एक बेवफा है ?
ए नींद तू ही बता क्या तेरी 'रजा' है ?


अधूरी मुहब्बत तो नाज़-ए-हक़दार है यारो
सच्ची मुहब्बत मुक्कमल ही कब हुयी|


कुछ इस कदर किसी ने ज़िन्दगी के पन्नो को बिखेरा,
की अये मेरे दोस्त,
हम हर बार बिखरे
समेटने की कोशिस में



©( एक सोच )

1 comments: